जो भी अपने में तथा अन्य जीवों के बीच भिन्न दृष्टिकोण के कारण तनिक भी भेदभाव करता है उसके लिए मैं मृत्यु की प्रज्ज्वलित अग्नि के समान महान् भय उत्पन्न करता हूँ।
तात्पर्य
समस्त प्रकार के जीवों के बीच अनेक शारीरिक भिन्नताएं हैं, किन्तु भक्त को इस आधार पर एक जीव तथा दूसरे जीव में भेदभाव नहीं करना चाहिए। भक्त का दृष्टिकोण तो यह होना चाहिए कि समस्त प्रकार के जीवों में आत्मा तथा परमात्मा दोनों ही समान रूप से उपस्थित हैं।
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