भगवान् के ही भय से वायु बहती है, उन्हीं के भय से सूर्य चमकता है, वर्षा का देवता पानी बरसाता है और उन्हीं के भय से नक्षत्रों का समूह चमकता है।
तात्पर्य
भगवद्गीता में भगवान् का वचन है—मयाध्यक्षेण प्रकृति: सूयते—“प्रकृति मेरे निर्देशन में कार्य करती है।” मूर्ख व्यक्ति सोचता है कि प्रकृति स्वत: कार्यशील है, किन्तु वैदिक साहित्य द्वारा ऐसे अनीश्वरवादी सिद्धान्त की पुष्टि नहीं होती। प्रकृति परमेश्वर की अध्यक्षता में कार्य कर रही है। इसकी पुष्टि भगवद्गीता में हुई है और यहाँ पर भी हम देखते हैं कि भगवान् के ही निर्देशन में सूर्य चमकता है और बादल पानी बरसाता है। सारी प्राकृतिक घटनाएँ भगवान् विष्णु की अध्यक्षता में घटित होती हैं।
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