भगवान् के भय से वृक्ष, लताएँ, जड़ी-बूटियाँ तथा मौसमी पौधे और फूल अपनी- अपनी ऋतु में फूलते और फलते हैं।
तात्पर्य
जिस प्रकार भगवान् की अध्यक्षता में सूर्य का उदय-अस्त होता है और निर्धारित समय से ऋतु-परिवर्तन होता रहता है, उसी तरह सामयिक पौधे, फूल, औषधियाँ तथा वृक्ष भी भगवान् के आदेश से बढ़ते हैं। ऐसा नहीं है कि पौधे अकारण ही और स्वत: बढ़ते हों जैसाकि नास्तिक कहते हैं, अपितु वे भगवान् के परम आदेशानुसार बढ़ते हैं। वैदिक साहित्य से पुष्टि होती है कि भगवान् की शक्तियाँ इतने सुचारु रूप से काम करती हैं कि ऐसा लगता है जैसे सब कुछ स्वत: हो रहा हो।
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