भगवान् के भय से ही प्रकृति के गुणों के अधिष्ठाता देवता सृष्टि, पालन तथा संहार का कार्य करते हैं। इस भौतिक जगत की प्रत्येक निर्जीव तथा सजीव वस्तु उनके ही अधीन है।
तात्पर्य
प्रकृति के तीनों गुण—सतो, रजो तथा तमो गुण—तीन देवों के अधीन हैं। ये हैं—ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव। भगवान् विष्णु सतोगुण का, ब्रह्मा रजोगुण का तथा शिवजी तमोगुण का भार सँभालते हैं। इसी प्रकार से अन्य अनेक देवता हैं जिनके अधीन वायु विभाग, जल विभाग, बादल विभाग हैं। जिस प्रकार किसी सरकार में तमाम विभाग होते हैं उसी तरह इस संसार में भगवान् के राज्य (सरकार) में अनेक विभाग हैं और ये सारे विभाग भगवान् के भयवश ठीक से चलते हैं। निस्सन्देह देवता ही इस ब्रह्माण्ड के भीतर समस्त जड़ तथा जंगम पदार्थ का नियन्त्रण करते हैं, किन्तु इन सबके ऊपर का परम नियामक भगवान् है। अत: ब्रह्म संहिता में कहा गया है कि ईश्वर: परम: कृष्ण:। निस्सन्देह इस ब्रह्माण्ड में विभागीय प्रबन्ध के अनेक नियन्ता हैं, किन्तु परम नियामक तो कृष्ण ही हैं।
प्रलय भी दो प्रकार का होता है। एक प्रलय तो वह है जब ब्रह्मा रात्रि में सो जाते हैं और दूसरा वह जब ब्रह्मा का विनाश हो जाता है। जब तक ब्रह्मा मर नहीं जाते, तब तक सृष्टि, पालन तथा संहार का काम विभिन्न देवताओं द्वारा परमेश्वर की अध्यक्षता में चलता रहता है।
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