तास्वपत्यान्यजनयदात्मतुल्यानि सर्वत: ।
एकैकस्यां दश दश प्रकृतेर्विबुभूषया ॥ ९ ॥
शब्दार्थ
तासु—उनके; अपत्यानि—सन्तानें; अजनयत्—उत्पन्न किया; आत्म-तुल्यानि—अपने ही समान; सर्वत:—सभी तरह से; एक- एकस्याम्—उनमें से हर एक में; दश—दस; दश—दस; प्रकृते:—अपना विस्तार करने के लिए; विबुभूषया—ऐसी इच्छा करते हुए ।.
अनुवाद
अपने दिव्य स्वरूपों के अनुसार ही अपना विस्तार करने के लिए भगवान् ने उनमें से हर एक से ठीक अपने ही गुणों वाली दस-दस सन्तानें उत्पन्न कीं।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.