इस तरह से ९९ हजार योजन की दूरी उसे दो या तीन पलों में पार करनी होती है और फिर तुरन्त उसे घोर यातना दी जाती है, जिसे सहना पड़ता है।
तात्पर्य
एक योजन आठ मील के बराबर होता है, अत: उसे लम्बा रास्ता तय करना होता है, जो लगभग ७,९२,००० मील है। इतनी लम्बी दूरी दो-तीन क्षणों में पार करनी होती है। सिपाही सूक्ष्म शरीर को ढक लेते हैं जिससे जीव इतनी लम्बी दूरी को शीघ्र ही तय कर ले और साथ ही यातनाएँ सहता चले। यह आवरण, यद्यपि भौतिक है, किन्तु ऐसे सूक्ष्म तत्त्वों का होता है कि भौतिकतावादी विज्ञानी पता नहीं लगा पाते कि ये आवरण किस वस्तु के बने हैं। ७,९२,००० मील की यात्रा कुछ ही पलों में पूरी कर लेना आधुनिक अन्तरिक्ष यात्रियों को भी असमंजस में डालने वाला है। अभी तक वे १८,००० मील प्रति घण्टे की चाल से यात्रा कर चुके हैं, किन्तु यहाँ हम देखते हैं कि अपराधी कुछ ही सेकंडों में ७,९२,००० मील की यात्रा करता है और यह कोई आध्यात्मिक विधि नहीं होती, भौतिक होती है।
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