पसीने तथा कीड़ों से भरे हुए मैले-कुचैले बिस्तर पर लिटाया हुआ शिशु खुजलाहट से मुक्ति पाने के लिए अपना शरीर खुजला भी नहीं पाता; बैठने, खड़े होने या चलने की बात तो दूर रही।
तात्पर्य
ध्यान देने की बात है कि शिशु रोता हुआ तथा पीड़ा का अनुभव करता हुआ उत्पन्न होता है। जन्म के बाद भी वही कष्ट चालू रहता है और वह रोता जाता है। चूँकि मल तथा मूत्र के कारण मैले-कुचैले बिस्तर के कीड़े उसे परेशान करते हैं, इसीलिए वह बेचारा रोता है। वह इसका कोई उपचार नहीं कर सकता।
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