ब्रह्मा अपनी पुत्री को देखकर उसके रूप पर मोहित हो गये और जब उसने मृगी का रूप धारण कर लिया तो वे मृग रूप में निर्लज्जतापूर्वक उसका पीछा करने लगे।
तात्पर्य
ब्रह्मा का अपनी पुत्री के रूप पर मोहित होना तथा भगवान् के मोहिनी रूप पर शिवजी का मोहित होना—ये ज्वलन्त उदाहरण हमें शिक्षा देते हैं कि ब्रह्मा तथा शिव जैसे देवता तक स्त्री की सुन्दरता पर मुग्ध हो जाते हैं, तो सामान्य बद्धजीव की क्या बिसात है? अत: हर एक को सलाह दी जाती है कि वह अपनी सगी पुत्री, अपनी माता या अपनी बहन तक से मुक्त भाव से न मिले-जुले, क्योंकि इन्द्रियाँ इतनी प्रबल हैं कि मनुष्य प्रेमान्ध हो जाता है और इन्द्रियाँ पुत्री-माता या बहन का नाता नहीं देखतीं। अत: मदन-मोहन की सेवा में लगकर भक्तियोग के द्वारा इन्द्रियों को वश में करने का अभ्यास करना सर्वोत्तम होगा। भगवान् कृष्ण का नाम मदनमोहन है, क्योंकि वे कामदेव या कामवासना को वश में कर सकते हैं। केवल मदनमोहन की सेवा करने से मदन के आदेशों पर अकुंश लगाया जा सकता है अन्यथा इन्द्रियों को वश में करने के सारे प्रयास विफल होंगे।
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