श्री मैत्रेय ने कहा : इस प्रकार भगवान् कपिल की माता एवं कर्दम मुनि की पत्नी देवहूति भक्तियोग तथा दिव्य ज्ञान सम्बन्धी समस्त अविद्या से मुक्त हो गईं। उन्होंने उन भगवान् को नमस्कार किया जो मुक्ति की पृष्ठभूमि सांख्य दर्शन के प्रतिपादक हैं और तब निम्नलिखित स्तुति द्वारा उन्हें प्रसन्न किया।
तात्पर्य
भगवान् कपिल ने अपनी माता के समक्ष जिस दर्शन-पद्धति का प्रतिपादन किया वह आध्यात्मिक पद पर स्थित होने की पृष्ठभूमि है। इस दर्शन पद्धति की विशिष्ट महत्ता सिद्ध भूमिम् द्वारा यहाँ पर व्यक्त की गई है, जिसका अर्थ है मोक्ष की पृष्ठभूमि। भगवान् कपिल ने जिस सांख्य-दर्शन का प्रतिपादन किया है उसे समझकर माया द्वारा बद्ध लोग, जो इस संसार में दुख भोग रहे हैं, पदार्थ (जड़त्व) के चंगुल से छुटकारा पा सकते हैं। इस दर्शन पद्धति के द्वारा भौतिक जगत में स्थित व्यक्ति भी तुरन्त मुक्त हो सकता है। यह अवस्था जीवन्-मुक्ति कहलाती है। इसका अर्थ यह हुआ कि इस भौतिक शरीर में रहते हुए भी मनुष्य मुक्त हो जाता है। भगवान् कपिल की माता देवहूति के साथ ऐसा ही हुआ, अत: उन्होंने अपनी स्तुतियों द्वारा भगवान् को सन्तुष्ट किया। जो भी सांख्य दर्शन के मूल सिद्धान्त को समझता है, वह भक्ति को प्राप्त होता है और इसी संसार में वह कृष्णभावनाभावित अर्थात् मुक्त हो जाता है।
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