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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 33: कपिल के कार्यकलाप  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  3.33.16 
पय:फेननिभा: शय्या दान्ता रुक्‍मपरिच्छदा: ।
आसनानि च हैमानि सुस्पर्शास्तरणानि च ॥ १६ ॥
 
शब्दार्थ
पय:—दूध का; फेन—फेन; निभा:—सदृश; शय्या:—पलँग; दान्ता:—हाथी-दाँत के; रुक्म—सुनहले; परिच्छदा:—पर्दों सहित; आसनानि—कुर्सियाँ तथ बेंचें; —तथा; हैमानि—सोने की; सु-स्पर्श—छूने में मुलायम; आस्तरणानि—गद्दियाँ; —तथा ।.
 
अनुवाद
 
 यहाँ पर कर्दम मुनि के घरेलू ऐश्वर्य का वर्णन हुआ है। चादर तथा चटाइयाँ दूध के फेन के समान श्वेत थीं, कुर्सियाँ तथा बेंचें हाथीदाँत की बनी थीं और वे सुनहरी जरीदार वस्त्र से ढकी थीं तथा पलँग सोने के बने थे जिन पर अत्यन्त मुलायम गद्दियाँ थीं।
 
 
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