आकाश ध्वनि का परिणाम है और ध्वनि अहंकारात्मक काम का रूपान्तर (विकार) है। दूसरे शब्दों में आकाश परमात्मा का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व है।
तात्पर्य
वैदिक स्तुतियों में कहा गया है—एतस्माद् आत्मन: आकाश: सम्भूत:। आकाश परमात्मा की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है। जो लोग रजो तथा तमो गुणों में अहंकारी है वे भगवान् की अनुभूति नहीं कर सकते। उनके लिए आकाश परमात्मा की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है।
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