तत्पश्चात् भगवान् ने आकाश पर नित्यकाल तथा बहिरंगा शक्ति से अंशत: मिश्रित दृष्टिपात किया और इस तरह स्पर्श की अनुभूति विकसित हुई जिससे आकाश में वायु उत्पन्न हुई।
तात्पर्य
सारी भौतिक सृष्टियाँ सूक्ष्म से स्थूल बनती है। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड इसी तरह से विकसित हुआ है। आकाश से स्पर्श अनुभूति विकसित हुई जो नित्यकाल, बहिरंगा शक्ति तथा भगवान् के दृष्टिपात का मिश्रण है। यह स्पर्श
अनुभूति आकाश में वायु के रूप में विकसित हो गई। इसी तरह अन्य सारा स्थूल पदार्थ भी सूक्ष्म से स्थूल में विकसित हुआ—ध्वनि आकाश में, स्पर्श वायु में, रूप अग्नि में, स्वाद जल में तथा गन्ध पृथ्वी में विकसित हुई।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥