तस्य—उसकी; अग्नि:—अग्नि; आस्यम्—मुँह; निर्भिन्नम्—इस तरह वियुक्त; लोक-पाल:—भौतिक मामलों के निदेशक; अविशत्—प्रवेश किया; पदम्—अपने-अपने पदों को; वाचा—शब्दों से; स्व-अंशेन—अपने अंश से; वक्तव्यम्—वाणी; यया—जिससे; असौ—वे; प्रतिपद्यते—व्यक्त करते हैं ।.
अनुवाद
उनके मुख से अग्नि अथवा उष्मा विलग हो गई और भौतिक कार्य सँभालने वाले सारे निदेशक अपने-अपने पदों के अनुसार इस में प्रविष्ट हो गये। जीव उसी शक्ति से शब्दों के द्वारा अपने को अभि-व्यक्त करता है।
तात्पर्य
भगवान् के विराट रूप का मुख वाचा शक्ति का उद्गम है। अग्नि तत्त्व का निदेशक इसका नियंत्रक अथवा आधिदैव है। अभि-व्यक्त वाणियां आध्यात्म या शारीरिक कार्य हैं और वाणियों की विषयवस्तु आधिभूत तत्त्व या भौतिक उत्पादन हैं।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.