जब विराट रूप के कान प्रकट हुए तो सभी दिशाओं के नियंत्रक देव श्रवण तत्त्वों समेत उनमें प्रविष्ट हो गये जिससे सारे जीव सुनते हैं और ध्वनि का लाभ उठाते हैं।
तात्पर्य
कान जीव के शरीर का सबसे महत्त्वपूर्ण यंत्र है। ध्वनि दूरस्थ तथा अज्ञात वस्तुओं का सन्देश ले जाने का सबसे महत्त्वपूर्ण माध्यम है। समस्त ध्वनि या ज्ञान की सिद्धि कान से प्रवेश करती है और मनुष्य के जीवन को पूर्ण बनाती है। सम्पूर्ण वैदिक ज्ञान एकमात्र श्रवण करके ही प्राप्त किया जाता है। इस तरह ज्ञान का सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत ध्वनि है।
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