पादौ—दो पाँव; अस्य—विराट रूप के; विनिर्भिन्नौ—पृथक् प्रकट हुए; लोक-ईश: विष्णु:—विष्णु नामक देवता (भगवान् नहीं); आविशत्—प्रविष्ट हुआ; गत्या—चलने-फिरने की शक्ति द्वारा; स्व-अंशेन—अपने ही अंश सहित; पुरुष:—जीव; यया—जिससे; प्राप्यम्—गन्तव्य तक; प्रपद्यते—पहुँचता है ।.
अनुवाद
तत्पश्चात् विराट रूप के पाँव पृथक् रुप से प्रकट हुए और विष्णु नामक देवता (भगवान् नहीं) ने उन में आंशिक गति के साथ प्रवेश किया। इससे जीव को अपने गन्तव्य तक जाने में सहायता मिलती है।
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