तत्पश्चात् विराट रूप का भौतिकतावादी अहंकार पृथक् से प्रकट हुआ और इसमें मिथ्या अंहकार के नियंत्रक रुद्र ने अपनी निजी आंशिक क्रियाओं समेत प्रवेश किया जिससे जीव अपना लक्ष्यित कर्तव्य पूरा करता है।
तात्पर्य
भौतिकतावादी स्वरूप का मिथ्या अहंकार शिवजी के अवतार रुद्र देवता द्वारा नियंत्रित होता है। रुद्र भगवान् के अवतार हैं, जो भौतिक प्रकृति के अन्तर्गत तमोगुण का नियंत्रण करते हैं। मिथ्या अहंकार की क्रियाएँ शरीर तथा मन के लक्ष्य पर आधारित होती हैं। मिथ्या अहंकार द्वारा नियंत्रित अधिकांश व्यक्ति शिवजी द्वारा नियंत्रित होते हैं। जब मनुष्य अज्ञान के सूक्ष्म रूप तक पहुँच जाता है, तो वह भ्रमवश अपने को परमेश्वर मानने लगता है। बद्ध आत्मा की अहंकारमय धारणा उस भ्रामिक माया का अन्तिम पाश है, जो सम्पूर्ण भौतिक जगत को नियंत्रित करती है।
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