कृपा करके पूर्वजों के श्राद्ध के विधि-विधानों, पितृलोक की सृष्टि, ग्रहों, नक्षत्रों तथा तारकों के काल-विधान तथा उनकी अपनी-अपनी स्थितियों के विषय में भी बतलाएँ।
तात्पर्य
दिन-रात तथा मास-वर्ष की अवधियाँ विभिन्न ग्रहों, नक्षत्रों तथा तारकों में भिन्न-भिन्न हैं। चन्द्रमा तथा शुक्र जैसे उच्चतरग्रहों में काल की प्रमाप पृथ्वी की अपेक्षा भिन्न है। कहा जाता है कि इस पृथ्वी ग्रह के छह मास उच्चतर ग्रहों के एक दिन के तुल्य हैं। भगवद्गीता में ब्रह्मलोक का एक दिन चतुर्युगों से एक हजार गुना वर्षों के तुल्य है अर्थात् ४,३००,००० वर्षों का एक हजार गुना वर्ष। ब्रह्मलोक में मास तथा दिन उसी के अनुसार परिमाणित होते हैं।
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