कदम्ब-किञ्जल्क—कदम्ब फूल की केसरिया धूल; पिशङ्ग—रंगीन परिधान; वाससा—वस्त्रों से; सु-अलङ्कृतम्—अच्छी तरह सुसज्जित; मेखलया—करधनी से; नितम्बे—कमर पर; हारेण—हार से; च—भी; अनन्त—अत्यन्त; धनेन—मूल्यवान; वत्स— हे विदुर; श्रीवत्स—दिव्य चिह्न का; वक्ष:-स्थल—छाती पर; वल्लभेन—अत्यन्त मनोहर ।.
अनुवाद
हे विदुर, भगवान् की कमर पीले वस्त्र से ढकी थी जो कदम्ब फूल के केसरिया धूल जैसा प्रतीत हो रहा था और इसको अतीव सज्जित करधनी घेरे हुए थी। उनकी छाती श्रीवत्स चिन्ह से तथा असीम मूल्य वाले हार से शोभित थी।
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