देवहूतिम्—देवहूति; अदात्—प्रदान की गई; तात—हे प्रिय पुत्र; कर्दमाय—कर्दम मुनि को; आत्मजाम्—कन्या; मनु:— स्वायंभुव मनु; तत्-सम्बन्धि—उस सम्बन्ध में; श्रुत-प्रायम्—प्राय: पूरी तरह सुना गया; भवता—तुम्हारे द्वारा; गदत:—कहा गया; मम—मेरे द्वारा ।.
अनुवाद
हे पुत्र, स्वायंभुव मनु ने अपनी परम प्रिय कन्या देवहूति को कर्दम मुनि को प्रदान किया। मैं इनके सम्बन्ध में तुम्हें पहले ही बता चुका हूँ और तुम उनके विषय में प्राय: पूरी तरह सुन चुके हो।
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