श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 1: मनु की पुत्रियों की वंशावली  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  4.1.12 
या: कर्दमसुता: प्रोक्ता नव ब्रह्मर्षिपत्नय: ।
तासां प्रसूतिप्रसवं प्रोच्यमानं निबोध मे ॥ १२ ॥
 
शब्दार्थ
या:—जो; कर्दम-सुता:—कर्दम की कन्याएँ; प्रोक्ता:—उल्लेख किया गया; नव—नौ; ब्रह्म-ऋषि—आध्यात्मिक ज्ञान वाले ऋषियों की; पत्नय:—पत्नियाँ; तासाम्—उनकी; प्रसूति-प्रसवम्—पुत्रों तथा पौत्रों की पीढिय़ाँ; प्रोच्यमानम्—वर्णित होकर; निबोध—समझने का प्रयत्न करो; मे—मुझसे ।.
 
अनुवाद
 
 मैं तुम्हें कर्दम मुनि की नवों कन्याओं के विषय में पहले ही बतला चुका हूँ कि वे नौ विभिन्न ऋषियों को सौंप दी गई थीं। अब मैं इन नवों कन्याओं की सन्तानों का वर्णन करूँगा। तुम मुझसे उनके विषय में सुनो।
 
तात्पर्य
 तीसरे स्कन्ध में बताया जा चुका है कि देवहूति से कदर्म को किस प्रकार नौ पुत्रियाँ प्राप्त हुईं और बाद में वे किस प्रकार मरीचि, अत्रि, वसिष्ठ जैसे मुनियों को सौंप दी गईं।
 
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥