हे विदुर, कश्यप तथा पूर्णिमा नामक दो सन्तानों में से पूर्णिमा के तीन सन्तानें उत्पन्न हुईं जिनके नाम विरज, विश्वग तथा देवकुल्या थे। इन तीनों में से देवकुल्या श्रीभगवान् के चरणकमल को धोने वाला जल थी, जो बाद में स्वर्गलोक की गंगा में बदल गई।
तात्पर्य
कश्यप तथा पूर्णिमा इन दो में से यहाँ पर पूर्णिमा के वंशजों का वर्णन है। इनका विस्तृत वर्णन छठे स्कंध में दिया जाएगा। यहाँ पर यह ज्ञात होता है कि देवकुल्या गंगा नदी की प्रधान विग्रह है, जो स्वर्ग लोक से इस लोक में अवतरित होती है और पवित्र मानी जाती हैं, क्योंकि वह श्रीभगवान् हरि के चरणकमलों का स्पर्श करती है।
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