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श्लोक 4.1.29  |
मैत्रेय उवाच
इति तस्य वच: श्रुत्वा त्रयस्ते विबुधर्षभा: ।
प्रत्याहु: श्लक्ष्णया वाचा प्रहस्य तमृषिं प्रभो ॥ २९ ॥ |
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शब्दार्थ |
मैत्रेय: उवाच—ऋषि मैत्रेय ने कहा; इति—इस प्रकार; तस्य—उसके; वच:—शब्द; श्रुत्वा—सुनकर; त्रय: ते—वे तीनों; विबुध—देवता; ऋषभा:—प्रमुख; प्रत्याहु:—उत्तर दिया; श्लक्ष्णया—विनीत; वाचा—वाणी; प्रहस्य—मुस्कराकर; तम्— उसको; ऋषिम्—ऋषि; प्रभो—हे शक्तिमान ।. |
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अनुवाद |
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मैत्रेय महा-मुनि ने कहा : अत्रि मुनि को इस प्रकार बोलते हुए सुनकर तीनों महान् देव मुस्कराए और उन्होंने मृदु वाणी में इस प्रकार उत्तर दिया। |
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