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श्लोक 4.1.40  |
ऊर्जायां जज्ञिरे पुत्रा वसिष्ठस्य परन्तप ।
चित्रकेतुप्रधानास्ते सप्त ब्रह्मर्षयोऽमला: ॥ ४० ॥ |
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शब्दार्थ |
ऊर्जायाम्—ऊर्जा से; जज्ञिरे—जन्म लिया; पुत्रा:—पुत्र; वसिष्ठस्य—वसिष्ठ मुनि की; परन्तप—हे महान; चित्रकेतु—चित्रकेतु; प्रधाना:—आदि; ते—सब पुत्र; सप्त—सात; ब्रह्म-ऋषय:—ब्रह्मज्ञानी ऋषि; अमला:—निर्मल ।. |
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अनुवाद |
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वसिष्ठ मुनि की पत्नी ऊर्जा से, जिसे कभी-कभी अरुन्धती भी कहा जाता है, चित्रकेतु इत्यादि सात विशुद्ध ऋषि उत्पन्न हुए। |
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