चित्तिस्त्वथर्वण: पत्नी लेभे पुत्रं धृतव्रतम् ।
दध्यञ्चमश्वशिरसं भृगोर्वंशं निबोध मे ॥ ४२ ॥
शब्दार्थ
चित्ति:—चित्ति; तु—भी; अथर्वण:—अथर्वा की; पत्नी—पत्नी; लेभे—प्राप्त हुआ; पुत्रम्—पुत्र; धृत-व्रतम्—व्रतधारी; दध्यञ्चम्—दध्यञ्च; अश्वशिरसम्—अश्वसिरा; भृगो: वंशम्—भृगु का वंश; निबोध—समझने का प्रयत्न करो; मे—मुझसे ।.
अनुवाद
अथर्वा मुनि की पत्नी चित्ति ने अश्वशिरा नामक पुत्र को जन्म दिया, जो व्रतधारी होने के कारण दध्यञ्च कहलाया। अब तुम मुझसे भृगुमुनि के वंश के विषय में सुनो।
तात्पर्य
अथर्वा की पत्नी चित्ति का अन्य नाम शान्ति भी है। वह कर्दम मुनि की आठवीं कन्या थी।
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