भृगु: ख्यात्यां महाभाग: पत्न्यां पुत्रानजीजनत् ।
धातारं च विधातारं श्रियं च भगवत्पराम् ॥ ४३ ॥
शब्दार्थ
भृगु:—भृगु:; ख्यात्याम्—अपनी ख्याति नामक पत्नी से; महा-भाग:—अत्यन्त भाग्यशाली; पत्न्याम्—पत्नी को; पुत्रान्—पुत्र; अजीजनत्—जन्म दिया; धातारम्—धाता; च—तथा; विधातारम्—विधाता; श्रियम्—श्री नामक एक कन्या; च भगवत्- पराम्—तथा भगवान् की परम भक्त, भगवत्परायणा ।.
अनुवाद
भृगु मुनि अत्यधिक भाग्यशाली थे। उन्हें अपनी पत्नी ख्याति से दो पुत्र, धाता तथा विधाता और एक पुत्री, श्री, प्राप्त हुई; वह श्रीभगवान् के प्रति अत्यधिक परायण थी।
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