श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 11: युद्ध बन्द करने के लिए  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  4.11.24 
न चैते पुत्रक भ्रातुर्हन्तारो धनदानुगा: ।
विसर्गादानयोस्तात पुंसो दैवं हि कारणम् ॥ २४ ॥
 
शब्दार्थ
न—कभी नहीं; च—भी; एते—ये सब; पुत्रक—हे पुत्र; भ्रातु:—तुम्हारे भाई के; हन्तार:—मारनेवाले; धनद—कुवेर के; अनुगा:—अनुचर; विसर्ग—जन्म; आदानयो:—मृत्यु का; तात—हे पुत्र; पुंस:—जीवात्मा का; दैवम्—ईश्वर; हि—निश्चय ही; कारणम्—कारण ।.
 
अनुवाद
 
 हे पुत्र, वे कुवेर के अनुचर यक्षगण तुम्हारे भाई के वास्तविक हत्यारे नहीं हैं; प्रत्येक जीवात्मा का जन्म तथा मृत्यु तो समस्त कारणों के कारण परमेश्वर द्वारा ही तय होती है।
 
 
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥