ननु—निश्चय ही; एकस्य—एक (यक्ष) के; अपराधेन—अपराध से; प्रसङ्गात्—संगति से; बहव:—अनेक; हता:—मारे गये; भ्रातु:—अपने भाई की; वध—मृत्यु से; अभितप्तेन—शोक से; त्वया—तुम्हारे द्वारा; अङ्ग—हे पुत्र; भ्रातृ-वत्सल—अपने भाई के प्रिय ।.
अनुवाद
हे पुत्र, यह सिद्ध हो चुका है कि तुम अपने भाई के प्रति कितने वत्सल हो और यक्षों द्वारा उसके मारे जाने से तुम कितने सन्तप्त हो, किन्तु जरा सोचो तो कि केवल एक यक्ष के अपराध के कारण तुमने कितने अन्य निर्दोष यक्षों का वध कर दिया है।
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