मैत्रेय: उवाच—मैत्रेय ने कहा; ध्रुवम्—ध्रुव महाराज को; निवृत्तम्—विमुख; प्रतिबुद्ध्य—जानकर; वैशसात्—वध से; अपेत—शान्त; मन्युम्—क्रोध; भगवान्—कुबेर; धन-ईश्वर:—धन के स्वामी; तत्र—वहाँ; आगत:—प्रकट हुए; चारण— चारण; यक्ष—यक्षों; किन्नरै:—तथा किन्नरों द्वारा; संस्तूयमान:—पूजित होकर; न्यवदत्—बोला; कृत-अञ्जलिम्—हाथ जोड़े हुए ध्रुव से ।.
अनुवाद
महर्षि मैत्रेय ने कहा : हे विदुर, ध्रुव महाराज का क्रोध शान्त हो गया और उन्होंने यक्षों का वध करना पूरी तरह बन्द कर दिया। जब सर्वाधिक समृद्ध धनपति कुबेर को यह समाचार मिला तो वे ध्रुव के समक्ष प्रकट हुए। वे यक्षों, किन्नरों तथा चारणों द्वारा पूजित होकर अपने सामने हाथ जोडक़र खड़े हुए ध्रुव महाराज से बोले।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.