श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 13: ध्रुव महाराज के वंशजों का वर्णन  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  4.13.13 
पुष्पार्णस्य प्रभा भार्या दोषा च द्वे बभूवतु: ।
प्रातर्मध्यन्दिनं सायमिति ह्यासन् प्रभासुता: ॥ १३ ॥
 
शब्दार्थ
पुष्पार्णस्य—पुष्पार्ण की; प्रभा—प्रभा; भार्या—पत्नी; दोषा—दोषा; च—भी; द्वे—दो; बभूवतु:—थीं; प्रात:—प्रात:; मध्यन्दिनम्—मध्यन्दिनम्; सायम्—सायम्; इति—इस प्रकार; हि—निश्चय ही; आसन्—थे; प्रभा-सुता:—प्रभा के पुत्र ।.
 
अनुवाद
 
 पुष्पार्ण के दो पत्नियाँ थीं, जिनके नाम प्रभा तथा दोषा थे। प्रभा के तीन पुत्र हुए जिनके नाम प्रात:, मध्यन्दिनम् तथा सायम् थे।
 
 
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥