विदुर ने कहा : मैं जानता हूँ कि नारद मुनि समस्त भक्तों के शिरोमणि हैं। उन्होंने भक्ति की पांचरात्रिक विधि का संकलन किया है और भगवान् से साक्षात् भेंट की है।
तात्पर्य
भगवान् तक पहुँचने के दो मार्ग हैं। एक को भागवत मार्ग अथवा श्रीमद्भागवत का मार्ग और दूसरे को पांचरात्रिका विधि कहते हैं। पांचरात्रिका विधि मन्दिर में पूजा करने की विधि है, जबकि भागवत विधि नवधा भक्ति है, जो श्रवण तथा कीर्तन से प्रारम्भ होती है। कृष्णभावनामृत आन्दोलन एकसाथ दोनों ही विधियों को अपनाता है, जिससे भगवान् के साक्षात्कार के मार्ग में निरन्तर प्रगति की जा सकती है। जैसाकि विदुर ने यहाँ उल्लेख किया है, सर्वप्रथम नारद ने यह पांचरात्रिक विधि चलायी।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.