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श्लोक 4.13.36  |
तस्मात्पुरुष उत्तस्थौ हेममाल्यमलाम्बर: ।
हिरण्मयेन पात्रेण सिद्धमादाय पायसम् ॥ ३६ ॥ |
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शब्दार्थ |
तस्मात्—उस अग्नि से; पुरुष:—पुरुष; उत्तस्थौ—प्रकट हुआ; हेम-माली—सोने का हार पहने; अमल-अम्बर:—श्वेत वस्त्रों में; हिरण्मयेन—सुनहले; पात्रेण—पात्र से; सिद्धम्—पकाया हुआ; आदाय—लाकर; पायसम्—खीर ।. |
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अनुवाद |
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अग्नि में आहुति डालते ही, अग्निकुण्ड से सोने का हार पहने तथा श्वेत वस्त्र धारण किये एक पुरुष प्रकट हुआ। वह एक स्वर्णपात्र में खीर लिये हुए था। |
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