श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 13: ध्रुव महाराज के वंशजों का वर्णन  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  4.13.36 
तस्मात्पुरुष उत्तस्थौ हेममाल्यमलाम्बर: ।
हिरण्मयेन पात्रेण सिद्धमादाय पायसम् ॥ ३६ ॥
 
शब्दार्थ
तस्मात्—उस अग्नि से; पुरुष:—पुरुष; उत्तस्थौ—प्रकट हुआ; हेम-माली—सोने का हार पहने; अमल-अम्बर:—श्वेत वस्त्रों में; हिरण्मयेन—सुनहले; पात्रेण—पात्र से; सिद्धम्—पकाया हुआ; आदाय—लाकर; पायसम्—खीर ।.
 
अनुवाद
 
 अग्नि में आहुति डालते ही, अग्निकुण्ड से सोने का हार पहने तथा श्वेत वस्त्र धारण किये एक पुरुष प्रकट हुआ। वह एक स्वर्णपात्र में खीर लिये हुए था।
 
 
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥