यद्यपि रानी को कोई पुत्र न था, किन्तु पुत्र उत्पन्न करने की शक्ति वाली उस खीर के खाने से, वह अपने पति के सहवास से गर्भवती हो गई और यथासमय उसने एक पुत्र को जन्म दिया।
तात्पर्य
दस प्रकार की शुद्धि-विधियों में पुंसवन भी एक है, जिसमें कुछ प्रसाद अथवा भगवान् विष्णु को प्रदत्त भोग के उच्छिष्ट को पत्नी को दिया जाता है, जिससे पति के द्वारा संभोग के पश्चात् वह गर्भ धारण कर सके।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.