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श्लोक 4.13.41  |
आक्रीडे क्रीडतो बालान् वयस्यानतिदारुण: ।
प्रसह्य निरनुक्रोश: पशुमारममारयत् ॥ ४१ ॥ |
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शब्दार्थ |
आक्रीडे—खेल के मैदान में; क्रीडत:—खेलता हुआ; बालान्—लडक़े; वयस्यान्—अपनी उम्र के; अति-दारुण:—अत्यन्त क्रूर; प्रसह्य—बल से; निरनुक्रोश:—निर्दयतापूर्वक; पशु-मारम्—मानो पशु की हत्या कर रहा हो; अमारयत्—मारता था ।. |
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अनुवाद |
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वह बालक ऐसा क्रूर था कि समवयस्क बालकों के साथ खेलते हुए उन्हें इतनी निर्दयता के साथ मारता मानो वे बध किये जाने वाले पशु हों। |
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