जब सर्वत्र खोज करने पर नागरिकों को राजा का कोई पता न चला तो वे अत्यधिक निराश हुए और नगर को लौट आये, जहाँ पर राजा की अनुपस्थिति के कारण देश के समस्त बड़े-बड़े ऋषि एकत्र हुए थे। अश्रुपूरित नागरिकों ने ऋषियों को नमस्कार किया और विस्तारपूर्वक बताया कि वे कहीं भी राजा को नहीं पा सके।
इस प्रकार श्रीमद्भागवत के चतुर्थ स्कन्ध के अन्तर्गत ‘ध्रुव महाराज के वंशजों का वर्णन” नामक तेरहवें अध्याय के भक्तिवेदान्त तात्पर्य पूर्ण हुए।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.