इति—इस प्रकार; ते—समस्त ऋषि; असत्-कृता:—अपमानित होकर; तेन—राजा द्वारा; द्विजा:—ब्राह्मण; पण्डित-मानिना— अपने को अत्यन्त विद्वान मानते हुए; भग्नायाम्—टूटकर; भव्य—शुभ; याच्ञायाम्—प्रार्थना, याचना; तस्मै—उसको; विदुर— हे विदुर; चुक्रुधु:—अत्यन्त रुष्ट हुए ।.
अनुवाद
हे विदुर, तुम्हारा कल्याण हो। उस मूर्ख राजा ने अपने को अत्यन्त विद्वान् समझकर ऋषियों तथा मुनियों का अपमान किया। राजा के वचनों से ऋषियों दिल टूट गया और वे उस पर अत्यन्त क्रुद्ध हुए।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.