इत्थम्—इस प्रकार; व्यवसिता:—निश्चित; हन्तुम्—मारने के लिए; ऋषय:—मुनिगण; रूढ—प्रकट किया; मन्यव:—अपना क्रोध; निजघ्नु:—मार डाला; हुम्-कृतै:—हुंकार या क्रोधपूर्ण शब्दों से; वेनम्—राजा वेन को; हतम्—मृत; अच्युत—भगवान् के विरुद्ध; निन्दया—निन्दा से ।.
अनुवाद
इस प्रकार अपने छिपे क्रोध को प्रकट करते हुए ऋषियों ने राजा को तुरन्त मार डालने का निश्चय कर लिया। राजा वेन भगवान् की निन्दा के कारण पहले से ही मृत तुल्य था। अत: बिना किसी हथियार के ही मुनियों ने हुंकारों से वेन को मार डाला।
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