सिन्धव:—समुद्रों; पर्वता:—पर्वतों; नद्य:—नदियों ने; रथ-वीथी:—रथ जाने के लिए मार्ग; महा-आत्मन:—महापुरुष का; सूत:—स्तुति करनेवाला; अथ—तब; मागध:—भाट; वन्दी—स्तुति करनेवाला; तम्—उसको; स्तोतुम्—बड़ाई करने के लिए; उपतस्थिरे—स्वयं उपस्थित हुए ।.
अनुवाद
समुद्रों, पर्वतों, तथा नदियों ने उन्हें किसी अवरोध के बिना रथ हाँकने के लिए मार्ग प्रदान किया। सूत, मागध तथा वन्दीजनों ने प्रार्थनाएँ तथा स्तुतियाँ कीं। वे सभी उनके समक्ष अपनी अपनी सेवाएँ करने के लिए उपस्थित हो गये।
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