इन दोनों में से, जो नर है, वह अपने यश को विश्व भर में फैला सकेगा। उसका नाम पृथु होगा। निस्सन्देह, वह राजाओं में सबसे पहला राजा होगा।
तात्पर्य
भगवान् के अनेक प्रकार के अवतार होते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि गरुड़ (विष्णु वाहन), शिव तथा अनन्त ये सभी भगवान् के ब्रह्मरूप के शक्तिमान अवतार हैं। इसी प्रकार स्वर्ग का राजा शचीपति अर्थात् इन्द्र, भगवान् के काम-रूप के अवतार हैं। अनिरुद्ध भगवान् के मन के अवतार हैं। इसी प्रकार राजा पृथु भगवान् की शासन-शक्ति के अवतार हैं। इस प्रकार साधु पुरुषों तथा ऋषियों ने राजा पृथु के भावी कार्यों की भविष्यवाणी कर दी, जो भगवान् के अंशावतार रूप थे।
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