सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी ब्रह्मा, देवताओं तथा उनके प्रमुखों सहित, वहाँ पधारे। राजा पृथु के दाहिने हाथ में विष्णु भगवान् की हथेली की रेखाएँ तथा चरण के तलवों पर कमल का चिह्न देखकर ब्रह्मा समझ गये कि राजा पृथु भगवान् के अंश-स्वरूप थे। जिसकी हथेली में चक्र तथा अन्य ऐसी रेखाएँ हों, उसे परमेश्वर का अंश या अवतार समझना चाहिए।
तात्पर्य
भगवान् के अवतार की पहचान करने की एक विधि होती है। आजकल किसी भी धूर्त को अवतार मानने का प्रचलन है, किन्तु इस घटना से हम देख सकते हैं कि ब्रह्मा ने स्वयं राजा पृथु के हाथों तथा पाँवों की परीक्षा विशिष्ट चिह्नों के लिए की। अपनी भविष्यवाणियों में विद्वान् मुनियों तथा ब्राह्मणों ने पृथु महाराज को भगवान् का अंश माना। किन्तु श्रीकृष्ण जब वर्तमान थे तो एक राजा ने अपने को वासुदेव घोषित कर दिया; फलत: भगवान् कृष्ण ने उसे मार डाला। किसी को भगवान् का अवतार मानने के पूर्व शास्त्रों में वर्णित लक्षणों के अनुसार उसके स्वरूप की पुष्टि की जानी चाहिए। इन लक्षणों के अभाव में भगवान् का अवतार कहलाने वाले छद्मवेषी का वध कर देना चाहिए।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.