तत:—तत्पश्चात्; मही-पति:—राजा; प्रीत:—प्रसन्न होकर; सर्व-काम—समस्त इच्छाएँ; दुघाम्—दूध के रूप में उत्पन्न करनेवाला; पृथु:—राज पृथु; दुहितृत्वे—अपनी पुत्री मानकर; चकार—किया; इमाम्—पृथ्वी को; प्रेम्णा—प्रेम के कारण; दुहितृ-वत्सल:—अपनी पुत्री के प्रति स्नेहमय ।.
अनुवाद
तत्पश्चात् राजा पृथु पृथ्वी से अत्यन्त प्रसन्न हो गये क्योंकि उसने विभिन्न जीवात्माओं के लिए प्रचुर मात्रा में भोजन की पूर्ति की। इस प्रकार पृथ्वी के प्रति राजा स्नेहिल हो उठा, मानो वह उसकी पुत्री हो।
____________________________
All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥