गिर:—शब्द; श्रुताया:—वेदों के; पुष्पिण्या:—पुष्पों से युक्त; मधु-गन्धेन—शहद की गन्ध से; भूरिणा—अत्यधिक; मथ्ना— मोहने वाली; च—तथा; उन्मथित-आत्मान:—जिनके मन जड़ बन चुके हैं; सम्मुह्यन्तु—वे आसक्त रहें; हर-द्विष:—शिव से ईर्ष्या करने वाले, शिवद्रोही ।.
अनुवाद
मोहक वैदिक प्रतिज्ञाओं की पुष्पमयी (अलंकृत) भाषा से आकृष्ट होकर जो जड़ बन चुके हैं और शिव-द्रोही हैं, वे सदैव सकाम कर्मों में निरत रहें।
तात्पर्य
उच्चस्तरीय भौतिकतावादी जीवन के लिए उच्चतर लोकों में पहुँचने की वैदिक प्रतिज्ञा की तुलना से पुष्पमयी अलंकृत भाषा से की गई है क्योंकि पुष्प में निश्चित रूप से सुगंधि होती है, किन्तु वह अधिक काल तक नहीं चलती। इसी प्रकार पुष्प में मधु होता है किन्तु वह भी शाश्वत नहीं होता।
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