महाराज पृथु की वाणी अत्यन्त सुन्दर, आलंकारिक भाषा से युक्त, सुस्पष्ट तथा श्रुतिमधुर थी। उनके शब्द अत्यन्त गभ्भीर तथा अर्थवान् थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वे बोलते समय परम सत्य सम्बन्धी अपनी निजी अनुभूति व्यक्त कर रहे थे जिससे वहाँ पर उपस्थित सभी लोग लाभ उठा सकें।
तात्पर्य
महाराज पृथु की बाह्य शारीरिक बनावट अत्यन्त सुन्दर थी और उनकी वाणी भी सभी प्रकार से ओजस्वी थी। उनके शब्द आलंकारिक
भाषा से युक्त होने से सुनने में मधुर, विनम्र तथा सुस्पष्ट और किसी प्रकार की शंका या दुविधा से रहित थे।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥