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श्लोक |
प्राचीनबर्हिष: पुत्रा: शतद्रुत्यां दशाभवन् ।
तुल्यनामव्रता: सर्वे धर्मस्नाता: प्रचेतस: ॥ १३ ॥ |
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शब्दार्थ |
प्राचीनबर्हिष:—राजा प्राचीनबर्हि के; पुत्रा:—पुत्र; शतद्रुत्याम्—शतद्रुति के गर्भ से; दश—दस; अभवन्—उत्पन्न हुए; तुल्य— समान; नाम—नाम; व्रता:—व्रत; सर्वे—सभी; धर्म—धार्मिकता में; स्नाता:—पूर्णतया मग्न; प्रचेतस:—सबों का प्रचेता नाम पड़ा ।. |
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अनुवाद |
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राजा प्राचीनबर्हि ने शतद्रुति के गर्भ से दस पुत्र उत्पन्न किये। वे सभी समान रूप से धर्मात्मा थे और प्रचेता नाम से विख्यात हुए। |
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तात्पर्य |
धर्म-स्नाता: शब्द महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि दसों पुत्र धर्म में पूर्णत: रत थे। साथ ही वे समस्त उत्तम गुणों से सम्पन्न थे। मनुष्य तभी पूर्ण माना जाता |
है जब वह पूर्ण रूप से धार्मिक हो, अपनी भक्ति के व्रत में पूर्ण हो, ज्ञान में पूर्ण हो एवं उत्तम आचरण वाला हो। सभी प्रचेतागण समान रूप से सिद्ध थे। |
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