कालकन्या द्वारा आलिंगन किए जाने से धीरे-धीरे राजा पुरञ्जन का सारा शारीरिक सौंदर्य जाता रहा। अत्यधिक विषयासक्त होने से उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई और उसका सारा ऐश्वर्य नष्ट हो गया। सभी कुछ खो जाने पर गन्धर्वों तथा यवनों ने उसे बलपूर्वक जीत लिया।
तात्पर्य
जब मनुष्य बुढ़ापे का शिकार हो जाता है, किन्तु फिर भी इन्द्रियतृप्ति में लगा रहता है, तो उसका व्यक्तिगत सौंदर्य, बुद्धि तथा सारी सम्पत्ति क्रमश: नष्ट हो जाती है। इस प्रकार वह कालकन्या के प्रबल आक्रमण को सह नहीं पाता।
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