वहाँ पर मेरी बहनें, मौसियाँ तथा मौसे एवं अन्य प्रिय परिजन एकत्र होंगे; अत: यदि मैं वहाँ तक जाऊँ तो उन सबों से मेरी भेंट हो जाये और साथ ही मैं उड़ती हुई ध्वजाएँ तथा ऋषियों द्वारा सम्पन्न होते यज्ञ को भी देख सकूँगी। हे प्रिय, इसी कारण से मैं जाने के लिए अत्यन्त उत्सुक हूँ।
तात्पर्य
जैसाकि पहले कहा जा चुका है कि श्वसुर तथा दामाद के बीच दीर्घकाल तक तनाव बना रहा। अत: सती अपने पिता के यहाँ काफी लम्बे समय से जा नहीं पाई थी। इसीलिए वह अपने पिता के घर (मायके) जाने के लिए अत्यन्त उत्सुक थी, विशेष रूप से ऐसे अवसर पर जब उसकी सारी बहनें, उसके बहनोई तथा उसकी मौसियाँ वहाँ एकत्र हुई होंगी। जैसाकि हर स्त्री के लिए स्वाभाविक है, वह भी अपनी अन्य बहनों के समान वस्त्र धारण करना और पति के साथ जाना चाह रही थी। निस्सन्देह, वह अकेले नहीं जाना चाहती थी।
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