यदि इस शिक्षा के बावजूद मेरे वचनों की उपेक्षा करके तुम जाने का निश्चय करती हो तो तुम्हारे लिए भविष्य अच्छा नहीं होगा। तुम अत्यन्त सम्माननीय हो और जब तुम स्वजन द्वारा अपमानित होगी तो यह अपमान तुरन्त ही मृत्यु के तुल्य हो जाएगा।
इस प्रकार श्रीमद्भागवत के चतुर्थ स्कन्ध के अन्तर्गत “श्रीशिव तथा सती का संवाद” नामक तीसरे अध्याय के भक्तिवेदान्त तात्पर्य पूर्ण हुए।
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