जब भृगु मुनि ने अग्नि में आहुति डाली तो तत्क्षण ऋभु नामक हजारों देवता प्रकट हो गये। वे सभी शक्तिशाली थे और उन्होंने सोम अर्थात् चन्द्र से शक्ति प्राप्त की थी।
तात्पर्य
यहाँ कहा गया है कि अग्नि में आहुति डालने तथा यजुर्वेद से मंत्रो के उच्चारण से ऋभु नामक हजारों देवता उत्पन्न हो गये। भृगुमुनि जैसे ब्राह्मण इतने शक्तिशाली हुआ करते थे कि वे वैदिक मंत्रों का उच्चारण करके ऐसे शक्तिमान देवताओं को उत्पन्न कर सकते थे। आज भी वैदिक मंत्र उपलब्ध हैं, किन्तु उच्चारण करने वाले नहीं हैं। वैदिक मंत्रों के उच्चारण से, अथवा गायत्री या ऋक्- मंत्र के उच्चारण से मन-वांछित फल प्राप्त हो सकता है। इस कलियुग में भगवान् चैतन्य ने केवल हरे कृष्ण के कीर्तन द्वारा सभी सिद्धियों की प्राप्ति सम्भव बतलाई है।
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