श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 5: दक्ष के यज्ञ का विध्वंस  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  4.5.17 
भृगुं बबन्ध मणिमान् वीरभद्र: प्रजापतिम् ।
चण्डेश: पूषणं देवं भगं नन्दीश्वरोऽग्रहीत् ॥ १७ ॥
 
शब्दार्थ
भृगुम्—भृगु मुनि को; बबन्ध—बन्दी कर लिया; मणिमान्—मणिमान ने; वीरभद्र:—वीरभद्र ने; प्रजापतिम्—प्रजापति दक्ष को; चण्डेश:—चण्डेश ने; पूषणम्—पूषा को; देवम्—देवता; भगम्—भग; नन्दीश्वर:—नन्दीश्वर ने; अग्रहीत्—बन्दी कर लिया ।.
 
अनुवाद
 
 शिव के एक अनुचर मणिमान ने भृगु मुनि को बन्दी बना लिया तथा श्याम असुर वीरभद्र ने प्रजापति दक्ष को पकड़ लिया। एक अन्य अनुचर चण्डेश ने पूषा को तथा नन्दीश्वर ने भग देवता को बन्दी बना लिया।
 
 
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥