मैत्रेय ने आगे बताया : हे विदुर, वह श्याम पुरुष भगवान् का साक्षात् क्रोध था और शिवजी के आदेशों का पालन करने के लिए उद्यत था। इस प्रकार किसी भी विरोधी शक्ति का सामना करने में अपने को समर्थ समझ कर उसने भगवान् शिव की प्रदक्षिणा की।
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